भारतीय रेलवे के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा बदलाव होने जा रहा है। केंद्र सरकार और रेलवे देश की चार विश्व धरोहर रेललाइनों का निजीकरण करने जा रहा है। ये चार ट्रैक हिमाचल का शिमला-कालका, पश्चिमी बंगाल का सिलीगुड़ी-दार्जिलिंग, तमिलनाडु का नीलगिरि और महाराष्ट्र का नेरल-माथेरान हैं। चारों ट्रैक नैरोगेज हैं, जिन्हें प्राइवेट एजेंसियों के हवाले करने की तैयारी है। प्राइवेट एजेंसी इन ट्रैक का रखरखाव करने के साथ-साथ मार्केटिंग का काम भी करेगी और नई ट्रेनें भी चलाएगी। पर्यटन केंद्र भी विकसित किए जाएंगे। एजेंसी की इस कमाई में रेलवे का शेयर भी होगा। रेलवे ने चारों ट्रैक का अध्ययन करने और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर देने का जिम्मा रेल लैंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (आरएलडीए) को सौंपा है।
आरएलडीए ने इन ट्रैक के विभिन्न मॉडलों का अध्ययन शुरू कर दिया है। किस एजेंसी को किन शर्तों पर ट्रैक का जिम्मा सौंपना है, इसकी रिपोर्ट चार माह में देनी होगी। मौजूदा समय में इन ट्रैक को चलाने के लिए रेलवे के पास बजट नहीं है। ऐसे में अब इन्हें निजी कंपनियों को सौंपने की तैयारी है, ताकि यूनेस्को से विश्व धरोहर घोषित होने के बावजूद इन ट्रैक से सफर करने के लिए पर्यटकों को आकर्षित किया जाए। (संवाद) उक्त चारों ट्रैक घाटे में चल रहे हैं। भारत में सिंगापुर से कहीं ज्यादा बेहतर और रोमांचक हेरिटेज ट्रैक हैं। इसके बावजूद सिंगापुर की तरफ हर देश का पर्यटक रुख करता है। इसका कारण यह है कि भारत में जितने भी हेरिटेज ट्रैक हैं, उनकी सही मार्केटिंग नहीं हो पाती। न विदेशी पर्यटकों को बेहतर पैकेज मिलता है। अब निजी कंपनियां इस पर काम करके पर्यटन कारोबार को भी बढ़ाएंगी। आरएलडीए के चैयरमेन वेद प्रकाश ने बताया कि हर साल रेलवे को इन ट्रैक पर रेल चलाने के लिए घाटा उठाना पड़ता है। अगर इसे पीपीपी मोड पर दिया जाए तो इसके राजस्व में बढ़ोतरी होगी।
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