न्यूज़ एजेंसी – अमेठी
उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में भी कोरोना भयावह रूप ले चुका है। कई गांव ऐसे हैं जहां एक ही महीने में 20 से 30 लोगों की जान चुकी है, पर वहां टेस्टिंग तक नहीं हो रही है। सर्दी जुकाम होता है और कुछ दिन में ही मरीज की जान चली जाती है। ऐसी डरावनी स्थिति केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र के एक गांव में देखने को मिल रही है। अमेठी के हारीमऊ गांव में 20 लोगों की मौतों का मामला सामने आया है।ग्रामीणों का कहना है कि पिछले एक साल में इतनी मौतें नहीं हुई जितनी एक महीने में हो गई हैं। गांव का दौरा करने पर हारीमऊ गांव के लोगों ने जो कुछ बताया वो काफी चौंकाने वाला पहलू रहा। गांव के निवासी राजेंद्र कौशल कहते हैं कि, ये सच्चाई है 17-18 मौतें हुई हैं। एक-एक घर से तीन-तीन लाशें निकली हैं। एंबुलेंस को फोन किया जाता है। आती है तो वो मरीज को उठाते तक नहीं। अगर घर वाले नहीं उठाते तो एंबुलेंस वापस चली जाती है। आशा बहुएं आकर दवा देकर चली जा रही हैं। वहीं इसी गांव के रहने वाले शाहनवाज का कहना है, किस कारण मौत हुई है इसकी वजह नहीं पता। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम आकर दवा देकर चली जाती है। उनके अनुसार न कोई जांच किसी की हुई, न सेनेटाइजिंग हुई। लोग डरे हुए हैं, यहां पास में अस्पताल है टीम आई थी वहां दवा देकर चली गई।धर 51 साल के महिपथ बताते हैं कि, मौत के कारणों का कोई पता नहीं चल सका है। मेरी इतनी उम्र में आजतक इतनी मौतें कभी नहीं हुई। पूरे एक साल में भी इतनी मौतें कभी नहीं हुई। जितनी इस महीने में हो चुकी हैं 18-20 मौतें। ग्राम प्रधान मोतीलाल का कहना है कि हमारे गांव में करीब 20 मौतें हुई हैं, किस वजह से हुई स्वास्थ्य विभाग की टीम आई लेकिन सही जानकारी नही जुटा पाई। टीम जो आई उसने न सैंपलिंग की न जांच, अस्पताल में दवा दिया और चलते बने। इस पूरे मामले पर अमेठी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आशुतोष दुबे का कहना है कि, वैक्सीनेशन के लिए ग्रामीणों को स्वास्थ्य केंद्र पर आना पड़ेगा। वैक्सीन का एक प्रोटोकॉल है वैक्सीन गांव में नहीं लगाई जा सकती है। पूरे गांव में छिड़काव कराया गया है। लक्षण युक्त व्याक्तियों की पहचान कर दवा दी गई है। सैंपलिंग कराई गई है।