Saturday, July 12, 2025
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मानसून सत्र : सत्र का पहला दिन शोकोदगार के साथ हुआ शुरू ..अग्निहोत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री की आदमकद प्रतिमा रिज पर लगाने की कि मांग

शिमला : हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र जोकि 10 दिन तक चलने वाला है आज शुरू हो गया । हिमाचल की राजनीति के दिग्गज वीरभद्र सिंह भाजपा के मुख्य सचेतक नरेंदर बरागटा के साथ सदन के अन्य दिवंगत नेताओं के निधन के शोकोदगार के साथ शुरू हुआ।गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का आईजीऍमसी में 8 अगस्त को निधन हुआ। जुब्बल कोटखाई के विधायक नरेंद्र बरागटा का पीजीआई में 5 जून को निधन हो गया था। इसके अलावा अमर सिंह चौधरी भोरंज हमीरपुर, मंडी जोगेंद्रनगर से राम सिंह, चंबा से मोहन लाल जो विधानसभा के सदस्य रहे उनका भी इस दौरान निधन हो गया। बजट सत्र व मानसून सत्र के बीच 5 विधानसभा सदस्यों का निधन हुआ।

शोकोद्वार मे बोलते हुए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि वीरभद्र सिंह मज़बूती के साथ ज़मीन में खड़े रहते थे। वीरभद्र सिंह ने राजनीति से ऊपर उठकर प्रदेश का विकास किया और कभी भेदभाव नहीं किया। जयराम ठाकुर ने कहा कि बहुत बड़ा नेतृत्व में कांग्रेस के हाथ और प्रदेश से चला गया है। अपने विधानसभा क्षेत्र में वीरभद्र सिंह के दौरे और उनके द्वारा राजनीतिक कार्यक्रम मेंउनके अच्छे संबंधो के चलते दिया अपनी विधानसभा में बोलने के लिए दिए मौके पर अपने विचार रखे । मुख्यमंत्री ने पांच सदस्यों के निधन पर दुःख व्यक्त किया। कोरोना व मानसून की आपदा में मारे गए लोगों के निधन पर भी दुःख जताया।

मुख्यमंत्री के बाद विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने उनके दिए योगदान को याद करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से उनकी आदमकद प्रतिमा को रिज पर स्थापित करने की मांग की सदन में उठाई। उन्होंने कहा कि 9 बार विधायक, 5 बार सांसद रहे व 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह भले ही राज परिवार में पैदा हुए लेकिन 60 साल तक लोगों के दिलों में राज किया। डॉ परमार को हिमाचल का निर्माता कहा जाता है तो वीरभद्र सिंह को आधुनिक हिमाचल का निर्माता माना जाता है। हम जैसे लोगों को राजनीति में लाए व उंगली पकड़कर चलना सिखाया।

हॉली लॉज में बिना समय लिए उनसे कोई भी व्यक्ति मिल सकता था। राजनीति में आदर्श स्थापित किए। वन कटान पर सख्ती से निबटे, लोकायुक्त के दायरे में मुख्यमंत्री को भी रखा। धर्मांतरण तक का कानून सदन में लेकर आए। धर्मशाला में विधानसभा बना दी। हिमाचल को ऊर्जा राज्य बनाने में अहम भूमिका अदा की। वीरभद्र सिंह की प्रतिमा को रिज मैदान पर स्थापित करवाने की मांग उठाई। अग्निहोत्री ने नरेंद्र बरागटा व अन्य नेताओं के निधन पर उन्हें याद किया।

संसदीय मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि वह तो वीरभद्र सिंह के निजी आवास हाली लाज में ही पैदा हुए। वीरभद्र सिंह धर्म कर्म से हिन्दू थे। वीरभद्र सिंह ने धर्मान्तरण का बिल लाया जो समूचे भारत में पहला बिल था। ऐसा कोई गांव नही होगा जहां वीरभद्र सिंह अपने क्षेत्र में पैदल न गए हों। गरीब की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। कई स्कूल प्रदेश में लोगों की मांग पर खोले। नरेंद्र बरागटा को लेकर सुरेश भारद्वाज ने कहा कि स्वयं बागवान होते हुए बागवानी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया।

कांग्रेस की तरफ से आशा कुमारी ने कहा कि राजनीति के साथ मुझे तो चलना भी उन्होंने सिखया। आज तक ऐसा नही हुआ कि किसी सत्र में दो सदस्यों की मौत के कारण शोकोदगार हुआ हो। वीरभद्र सिंह 28 साल की उम्र में महासू से सांसद बने थे। वीरभद्र सिंह युग पुरुष थे। वीरभद्र सिंह मेरे सगे मौसा थे। जिसको उन्होंने उंगली पकड़कर चलना सिखाया। वीरभद्र सिंह खुद टाइप प्रधानमंत्री व जिलाउपयुक्तों को सासंद रहते पत्र लिखते थे। मंदिरों को सरकारी अधिग्रहण करने का कानून उन्होंने लाया। वीरभद्र सिंह कॉलेज प्रोफेसर बनाना चाहते थे। संसद में 68 सदस्यों की मांग भी वीरभद्र सिंह ने उठाई थी। नरेंद्र बरागटा व अन्य सदस्यों के निधन पर भी उन्होंने शोक व्यक्त किया।

विक्रमादित्य ने सदन में लाए शोकोद्गर पर सभी का धन्यवाद कहा और मुख्यमंत्री का विशेष आभार व्यक्त करते हुए कहा की जिस प्रकार वो ऐसे समय में उनके साथ खड़े नजर आये हैं उसे वो कभी नही भूल सकते l

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