रेणुका गौतम
क्या देवता या भगवान का भी होता है कोई मालिक
कुल्लू : देवभूमि कुल्लू में देव संस्कृति व भगवान रघुनाथ जी पर एक बार फिर से जंग छिड़ गई हैं। पूर्व जिला परिषद सदस्य एवं माता भेखली मंदिर न्यास के पूर्व प्रधान दिनेश सेन ने भगवान रघुनाथ के प्रमुख छड़ीबरदार एवं पूर्व सांसद पर अप्रत्यक्ष हमला बोल दिया है। उन्होंने कहा कि जिस भगवान रघुनाथ जी को कुल्लू के लोग अधिष्ठाता देव मानते हैं वहीं कुछ लोग भगवान व देवता के मालिक बन बैठे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे कोई बताएं कि भगवान या देवता का भी कोई मालिक होता है। हम तो भगवान या देवता को ही मालिक मानते हैं लेकिन कुछ लोग अपनी सुविधानुसार भगवान के ही मालिक बन बैठे हैं। यह बात उन्होंने महेश्वर सिंह के उस पत्र के आधार पर कही जिसमें उन्होंने अपने आपको भगवान रघुनाथ जी का मालिक दर्शाया है।
उन्होंने कहा कि देव परंपरा के नाम पर लोगों में भय का वातावरण खड़ा किया जा रहा है और देवधुन का भी विरोध हुआ है जबकि देवधुन अठारह करडू की सौह में देव समाज व सरकार की अनुमति से हुई है। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि समय के साथ-साथ कुछ परंपराओं में भी परिवर्तन हुआ है लेकिन मूल संस्कृति को नहीं भूला जाता है। उन्होंने कहा कि कुल्लू जिला देव संस्कृति की एक प्रसिद्ध धरोहर है और इस संस्कृति को देखने के लिए ही देश व विदेश से हर साल हजारों सैलानी यहां पहुंचते हैं। दशहरा उत्सव के दौरान बजाई गई देव धुन को देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रशंसा मिली है। पूर्व जिला परिषद सदस्य दिनेश सेन ने कुल्लू में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि आज कुछ लोग देव धुन को गलत दर्शाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन वही लोग गणतंत्र दिवस के दौरान कुल्लू दशहरा की रथ यात्रा को दिल्ली में दिखाने की प्रशंसा कर रहे हैं जो गलत है। क्या उससे देव संस्कृति खराब नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में भगवान रघुनाथ जी की रथ यात्रा और कुल्लू में देवधुन दोनों ही सराहनीय कार्य हैं। इससे हमारी समृद्ध संस्कृति को बढ़ाबा मिलता है और पर्यटन को भी पंख लगते हैं। दिनेश सेन ने कहा कि देव धुन बजाने के लिए सरकार, प्रशासन व देव समाज से अनुमति ली गई थी और उसके बाद ही इसका आयोजन किया गया था। देव धुन के आयोजन के बाद घाटी में सभी देवी देवता खुश हुए और उसके बाद से लेकर मौसम भी काफी अच्छा बना हुआ है। दिनेश सेन का कहना है कि आज कुछ लोग देव परंपरा के साथ छेड़छाड़ करने में लगे हुए हैं और देव परंपरा के बीच राजनीति को भी डाल रहे हैं जो सरासर गलत है। दिनेश सेन का कहना है कि कुल्लू के देव समाज में देवी-देवताओं से बड़ा कोई नहीं है और कुछ लोग अब देवी-देवताओं से बड़ा बनकर उनके मालिक बनने में लगे हुए हैं। ऐसे में पुरानी परंपराओं के साथ छेड़छाड़ और अच्छी चीजों को गलत बताकर वह सिर्फ अपनी राजनीति को चमकाने में लगे हुए हैं। अगर उन लोगों को ऐसा लगता है कि देव धुन बजाकर कुछ गलत हुआ है तो वे इस बारे में खुली बहस भी कर सकते हैं जो उन्हें बिल्कुल स्वीकार है।
दिनेश सेन का कहना है कि पुराने समय में देवी-देवताओं की परंपराएं व रिवाज कुछ अलग थे। लेकिन समय के अनुसार अब उनमें भी बदलाव लाया गया है और देव समाज ने भी उन बदलावों को माना है। ऐसे में लोग राजनीति को छोड़कर देव परंपरा को मजबूत करने की दिशा में कार्य करें तो इससे जिला ही नहीं बल्कि प्रदेश का भी भला होगा। उन्होंने कहा कि राजा जगत सिंह ने सारा राजपाट भगवान के चरणों में डाला था और खुद रघुनाथ के सेवक बनकर छड़ीबरदार बन बैठे थे लेकिन वर्तमान समय में कुछ लोग मालिक बनने का प्रयास