कहा देवनीति और राजनीति को अलग रखें
वरना भुगतना होगा और खामियाजा
रेणुका गौतम, कुल्लू : मां हिडिंबा के आदेश पर आज ज़िला कुल्लू के नग्गर में जगती यानी देव संसद का आयोजन किया गया। जिसमें कुल्लू सहित ज़िला मंडी और ज़िला लाहौल स्पीति के कुल 229 देवी देवता शामिल हुए। इस देव संसद में देवता के नुमाइंदों यानी गुर के माध्यम से देवनीति से राजनीति दूर रखना का आदेश दिया गया।
कुल्लू के आराध्य भगवान श्री रघुनाथ जी के करदार दानवेंद्र सिंह ने इस जगती को लेकर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस जगती का निर्णय गत दिनों ज़िला सहित प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के चलते स्वयं देवी देवताओं द्वारा लिया गया था। आपदाग्रस्त जनता ने जब अपने अपने क्षेत्र के देवी देवताओं के पास जाकर आपदा से राहत की प्रार्थनाएं की तब हर देवी देवता ने इस देव संसद के आयोजन की बात कही थी। दानवेंद्र सिंह ने बताया कि इस धार्मिक आयोजन में भले ही आपदा से बचाव का रास्ता देव शक्तियों द्वारा पूछना मुख मकसद था, लेकिन सभी उपस्थित देवी देवताओं ने अपने अपने गुरों (orators) के माध्यम से देवस्थलों, चाहे वह बिजली महादेव हो, दशहरा मैदान हो या कोई और धार्मिक स्थान, सभी जगह मानव के बेवजह हस्तक्षेप और छेड़छाड़ से बचाव करने की बात कही। साथ हिन्दू धर्म में पूजनीय मानी जाने वाली गौमाता के सम्मान करने और रक्षा की बात पर भी बल दिया।

सभी देवी देवताओं ने भविष्यवाणी में यह भी चेतावनी दी यदि उनके आदेशों को नहीं माना जाता है तो भविष्य में मानव जाति को और भी भयंकर तबाही से दो-चार होना पड़ सकता है। आज की जगती में नग्गर में तथा कुल्लू में यज्ञ करने के भी आदेश देवताओं द्वारा दिए गए हैं।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां के हर उत्सव, हर त्यौहार और हर रीति-रिवाज का आधार देव आस्था ही रहता है। और यदि बात “जगती” की करें तो कुल्लू में यह देवी देवताओं की संसद की तरह है। और इसका आयोजन बहुत संकट की परिस्थितियों में ही किया जाता है। ताकि देवी देवताओं के निर्देशों पर चलकर संकट से मुक्ती पाई जा सके। और यह दुर्लभ परिस्थितियों में ही आयोजित होता है। इससे पहले वर्ष 2007, 2014 और 2021 में जगती आयोजित की गई थी।

