सोलन: हिमाचल प्रदेश स्थित शूलिनी यूनिवर्सिटी ने इस साल देश के सभी यूनिवर्सिटीयों में 35वीं रैंक हासिल करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त शिमागो रैंकिंग में और सुधार किया है। यूनिवर्सिटी को पिछले साल 37वीं रैंक प्राप्त हुई थी।रैंकिंग आर्गेनाइजेशन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, शूलिनी पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर राज्यों में नंबर एक प्राईवेट यूनिवर्सिटी के रूप में उभरी है।वैश्विक स्तर पर शूलिनी यूनिवर्सिटी को पिछले साल मिले 545वें रैंक की तुलना में इस साल 514वां रैंक प्राप्त हुआ है।यूनिवर्सिटी ने देश भर में रिसर्च की श्रेणी में 17वां स्थान प्राप्त किया है। विषयवार श्रेणी में यूनिवर्सिटी ने कैमिस्ट्री में भारतीय यूनिवर्सिटीयों में पहला स्थान बरकरार रखाहै जबकि इसने फिजिक्स और एस्ट्रोनॉमी में 12 वां और पर्यावरण विज्ञान और ऊर्जा में 33 वां स्थान हासिल किया है। यूनिवर्सिटी को इंजीनियरिंग में 17वीं रैंक प्राप्त हुआ है।शिमागो रैंकिंग सूची में दुनिया भर के 4364 प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थान शामिल हैं।यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों और छात्रों को बधाई देते हुए चांसलर प्रो. पी के खोसला ने कहा कि सिर्फ 10-12 सालों की छोटी अवधि के दौरान यूनिवर्सिटी की उपलब्धियां प्रशंसनीय हैं। उन्होंने कहा कि ये प्रगति यूनिवर्सिटी के शीर्ष वैश्विक यूनिवर्सिटीयों में शामिल होने के मिशन के अनुरूप है।
वाइस चांसलर प्रोफेसर अतुल खोसला ने कहा कि यूनिवर्सिटी की रैंकिंग में लगातार सुधार फैकल्टी सदस्यों और छात्रों द्वारा की जा रही कड़ी मेहनत को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि उन्हें यकीन है कि आने वाले वर्षों में यूनिवर्सिटी की रैंकिंग में और सुधार होगाशिमागो इंस्टीट्यूशंस रैंकिंग को सबसे उद्देश्यपूर्ण रैंकिंग में से एक माना जाता है क्योंकि विशेषज्ञ इंटरनेशनल डेटाबेस से जानकारी के आधार पर यूनिवर्सिटीयों और साइंटिफिक संगठनों का मूल्यांकन करते हैं।
शिमागो इंस्टीट्यूशंस रैंकिंग एल्सेवियर के साथ साझेदारी में शिमागो लेबोरेटरीज द्वारा प्रकाशित वैज्ञानिक संस्थानों की एक वैश्विक रैंकिंग है और पूरी तरह से अनुसंधान पर केंद्रित है।यह विश्लेषण शैक्षणिक अनुसंधान आउटपुट की गुणवत्ताए इनोवेशन आउटपुट और सामाजिक प्रभाव जैसे संकेतकों पर आधारित हैए जिसे उनकी वेब विजिबिल्टी द्वारा मापा जाता है। शिमागो इंस्टीट्यूशंस रैंकिंग एल्सेवियर के स्कोपस डेटाबेस से बिब्लियोमेट्रिक डेटा का उपयोग करके दुनिया के प्रमुख शोध संस्थानों के अनुसंधान प्रदर्शन का मूल्यांकन करती है।