Sunday, November 2, 2025
Homehimachalधारा 118 के सरलीकरण के नाम पर हिमाचल की जमीन बेचने की...

धारा 118 के सरलीकरण के नाम पर हिमाचल की जमीन बेचने की तैयारी : बिक्रम ठाकुर

कहा,कांग्रेस सरकार प्रदेश की अस्मिता से कर रही विश्वासघात

धर्मशाला, धारा 118 से छेड़छाड़, हिमाचल से विश्वासघात है और कांग्रेस सरकार हिमाचल की अस्मिता बेचने चली है,पूर्व उद्योग मंत्री एवं भाजपा विधायक बिक्रम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा धारा 118 में “सरलीकरण” के नाम पर किए जा रहे संशोधन की तैयारी हिमाचल के हितों पर सीधा प्रहार है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार प्रदेश के भू-संसाधनों को पूंजीपतियों और अपने चहेते उद्योगपतियों के हवाले करने का रास्ता बना रही है। भाजपा इस साजिश को किसी भी सूरत में सफल नहीं होने देगी।

बिक्रम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश काश्तकारी एवं भूमि सुधार अधिनियम की धारा 118 केवल एक कानूनी प्रावधान नहीं बल्कि यह हिमाचल की पहचान और स्वाभिमान की रेखा है। प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार ने इसे इसलिए लागू किया था ताकि बाहरी लोग हिमाचल की कृषि भूमि पर कब्जा न कर सकें और हमारी संस्कृति, पर्यावरण तथा जनसंख्या संतुलन सुरक्षित रहे। इस धारा ने दशकों तक हिमाचल को बेतरतीब भूमि अधिग्रहण और बाहरी दबाव से बचाए रखा।

उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस सरकार उसी दीवार को गिराने की साजिश रच रही है। “Ease of Doing Business” के नाम पर तैयार किया गया संशोधन प्रस्ताव वास्तव में “Ease of Selling Himachal” का दूसरा नाम है। यह सरकार धारा 118 को कमजोर करके हिमाचल की जमीन को पूंजीपतियों की बोली पर चढ़ाने जा रही है। इस संशोधन के जरिये प्रदेश की कृषि, पर्यावरण और जनसंख्या संरचना पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा, जिसे समझने की दूरदर्शिता इस सरकार में नहीं है।

बिक्रम ठाकुर ने कहा कि यह बात बेहद स्पष्ट है कि कांग्रेस की नीति प्रदेशहित नहीं, माफिया और पूंजीपति हित पर आधारित है। पहले धर्मिक संस्थाओं को भूमि बेचने की छूट दी गई, अब आम निवेशकों के नाम पर यह सरकार हिमाचल की मूल भूमि व्यवस्था को ही खत्म करना चाहती है। उन्होंने कहा कि यदि एक बार यह दरवाजा खुल गया तो हिमाचल की उपजाऊ जमीन और पारंपरिक व्यवस्था बाहरी कब्ज़े की शिकार हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि सुक्खू सरकार के इस कदम से यह साबित हो गया है कि कांग्रेस अब “व्यवस्था परिवर्तन” के नाम पर “भूमि परिवर्तन” का खेल खेल रही है। कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि हिमाचल कोई प्रयोगशाला नहीं जहाँ हर बार नीतियों का परीक्षण जनता के भविष्य के साथ किया जाए। धारा 118 की आत्मा से छेड़छाड़ का अर्थ है – हिमाचल के अस्तित्व और अस्मिता से खिलवाड़।

बिक्रम ठाकुर ने कहा कि भाजपा पहले भी विधानसभा के भीतर और बाहर इस विषय पर लगातार विरोध दर्ज करवा चुकी है। भाजपा का यह मानना है कि प्रदेश के विकास के लिए निवेश की जरूरत जरूर है, लेकिन निवेश का अर्थ यह नहीं कि प्रदेश की भूमि, संस्कृति और पहचान को दांव पर लगा दिया जाए। निवेश वहां होना चाहिए जहाँ हिमाचल के लोग मालिक रहें, मजदूर नहीं बनें।

बिक्रम ठाकुर ने सख्त चेतावनी दी कि अगर कांग्रेस सरकार ने धारा 118 को छूने की कोशिश भी की तो भाजपा चुप नहीं बैठेगी। भाजपा विधानसभा के अंदर भी इस मुद्दे को उठाएगी और सड़कों पर भी जनांदोलन करेगी। “हम इस कानून की एक-एक धारा की रक्षा करेंगे क्योंकि यह कानून नहीं, हिमाचल के स्वाभिमान की दीवार है।

उन्होंने कहा कि भाजपा प्रदेश की जनता से अपील करती है कि वे कांग्रेस सरकार की इस चाल को समझें। “सरलीकरण” की आड़ में यह सरकार दरअसल हिमाचल की मिट्टी का सौदा करने जा रही है। यह कोई आर्थिक सुधार नहीं बल्कि राजनैतिक सौदेबाज़ी है। भाजपा प्रदेश के हर कोने से आवाज उठाएगी कि हिमाचल की ज़मीन हिमाचलियों की है और रहेगी।

Most Popular