चंडीगढ़: सुखना कैचमेंट एरिया के मामले में हाई कोर्ट ने एक बड़ा और बेहद ही महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए यहां हुए अवैध निर्माणकार्यों के लिए पंजाब और हरियाणा दोनों सरकारों को दोषी करार देते हुए दोनों पर 100 -100 करोड़ रूपए जुर्माना लगाते हुए जुर्माने की यह राशि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में तीन महीनों में जमा करवाए जाने के आदेश दे दिए हैं|साथ ही इस राशि को सुखना लेक और कैचमेंट एरिया के संरक्षण पर खर्च किए जाने के आदेश दे दिए गए हैं|
जस्टिस राजीव शर्मा एवं जस्टिस एच.एस. सिद्धू की खंडपीठ ने इस मामले में हाई कोर्ट द्वारा लिए गए संज्ञान का निपटारा करते हुए यह आदेश दिए हैं इसके साथ ही हाई कोर्ट ने सर्वे ऑफ़ इंडिया के नक़्शे में जिस जगह को कैचमेंट एरिया तय किया गया है उसे स्वीकार करते हुए इस पुरे एरिया में हुए सभी निर्माणों को गिराए जाने के आदेश दे दिए हैं हाई कोर्ट ने कहा कि जिन्होंने यहां निर्माणों की स्वीकृति ली हुई थी उसने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ पास ही किसी अन्य वैकल्पिक जगह पर बसायेंगे और इन सभी को 25 -25 लाख रूपए मुआवजा भी सम्बंधित सरकारों को देना होगा इसके साथ ही हाई कोर्ट ने नयागांव और मटमैन्स देवी के मास्टर प्लान को रद्द करते हुए सर्वे ऑफ़ इंडिया में तय कैचमेंट एरिया को स्वीकार कर कर लिया है
हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दे दिए हैं कि वे सुखना लेक के एक किलोमीटर के दायरे को इको-सेंसिटिव जोन घोषित करे यह एरिया जो पंजाब और हरियाणा दोनों में पड़ता है वहीं चंडीगढ़ प्रशासन को तीन महीनों में सुखना लेक को वेटलैंड घोषित किए जाने के आदेश दिए गए हैं इसके साथ ही पंजाब और हरियाणा को भी अपने एरिया में पड़ने वाले कैचमेंट एरिया को सुखना वेटलैंड घोषित कर इसकी तीन महीनों में नोटिफिकेशन जारी करने के आदेश दे दिए हैं|