शिमला: प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से चरमरा गई है। अस्पताल प्रबंधन मामले पर ध्यान नहीं दे रहा है अस्पताल को मशीनरी महीनों से खराब पड़ी है और अस्पताल प्रबंधन अस्पताल से ही गायब है। जानकारी मिली है की अस्पताल प्रबंधन अपनी राजनीतिक पारी खेलने के लिए अपने विधानसभा क्षेत्र में घर घर जाकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। अस्पताल में चरमराती स्वास्थ्य सेवा के चलते प्रदेश भर के हजारों लोगों को रोजाना दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश की चरमराती स्वास्थ्य सेवा पर आम आदमी पार्टी ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया है और कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा वेंटीलेटर पर है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता गौरव शर्मा ने बताया कि भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री अपनी मौज मस्ती में व्यस्त होकर इन दिनों शिलान्यास और उद्धघाटन कार्यक्रमों में व्यस्त हैं लेकिन प्रदेश में शिक्षा के साथ साथ स्वास्थ्य सेवा दयनीय स्थिति में हैं। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल IGMC में 21 मई को मरीजों के टेस्ट करने का जिम्मा संभाल रही एस आर एल लैब का अनुबंध खत्म हो गया था लेकिन उसके बाद नई लैब कृष्ना कंपनी को जिम्मा सौंपा गया को एक माह बाद भी अपना कार्य नहीं संभाल पाई है। ऐसे में प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजमी है जहां स्वास्थ्य सेवा खुद वेंटीलेटर पर चल रही है। जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता को भुक्तना पड़ रहा है। क्योंकि प्रदेश के आईजीएमसी अस्पताल में इन दिनों रोजाना 3000 से ज्यादा ओपीडी होती है लेकिन जब मरीजों को अपने जांच के लिए टेस्ट करवाने पड़ते हैं तो उन्हें मजबूरी में निजी लैब का रुख करना पड़ता हैं जहां हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। अस्पताल के भीतर 4-5 बाद टेस्ट की डेट मरीजों को दी जा रही है। इसके अलावा सिटी स्कैन और MRI की टेस्ट की डेट 2-2 माह बाद दी जाती है।
गौरव शर्मा ने बताया कि करीब 10 साल पहले जो टेस्ट सुविधा लोगों को सरकार के द्वारा दी जाती थी उसे सरकार ने अपने चहेते लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए निजी क्षेत्र में SRL कंपनी को दे दी जो 10 साल तक पहले से ज्यादा रेट पर लोगों को टेस्ट सुविधा देती रही लेकिन 21 जून 2022 को करार खत्म हो गया थे लेकिन नई कंपनी कृष्ना को दिए गए टेंडर के बाद भी कंपनी अभी तक अपना कार्यभार नहीं संभाल पाई है। ऐसे में आखिर कब तक अस्पताल आने वाले मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि अस्पताल के भीतर करोड़ों रुपए की लागत से सीटी स्कैन,MRI मशीन, अल्ट्रासाउंड जैसी जांच मशीनें अस्पताल में पड़ने वाले बोझ से खराब रहती हैं लेकिन सरकार न तो इन मशीनों की सुध लेती है और न ही स्वास्थ्य सेवा को दुरुस्त करवा पा रही है। स्वास्थ्य मंत्री अपने गृह जिला से ही बाहर नहीं निकल पाते हैं और सीएम सचिवालय से स्वास्थ्य सेवा का हाल जानने के लिए चंद किलोमीटर दूर IGMC नहीं पहुंच सकते हैं।लेकिन इतना जरूर है की जब भी IGMC में कोई कार्यक्रम होता है तो जरूर अस्पताल पहुंच जाते हैं लेकिन जनता को हो रही दिक्कतों की सुध लेने के लिए न तो अस्पताल प्रबंधन, न स्वास्थ्य मंत्री और न ही खुद सीएम साहब इस मामले पर हस्तक्षेप कर रहे हैं।ऐसे में आम आदमी पार्टी सरकार से पूछना चाहती है कि आखिर भाजपा सरकार जनता के प्रति इतनी संवेदनहीन क्यों है।