राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय की अध्यक्षता में आज यहां हिमाचल प्रदेश नेशनल लाॅ यूनिवर्सिटी शिमला द्वारा ‘‘स्वतंत्रता आंदोलन एवं राष्ट्रीय राजनीतिक विचार’’ विषय पर आॅनलाइन विचार-विमर्श कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर, राज्यपाल ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता का विशेष ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि इस इतिहास के फलस्वरूप हम राजनीतिक तौर पर आजाद हुए और हमने लोगों के दिल और दिमाग में राष्ट्रीयता का विचार पैदा करना शुरू किया। अगर ऐसा न होता तो लोग अपनी जाति, समुदाय व धर्म आदि के आधार पर ही सोचते रह जाते। हालांकि भारतीय होने का यह गौरव केवल एक भौगोलिक सीमा के ऊपर खड़ा था। उन्होंने कहा कि भारत का असली व पूरा गौरव इसकी सीमाओं में नहीं बल्कि इसकी सांस्कृतिक, आध्यात्मिक मूल्यों तथा सार्वभौमिकता में है। यहां के निवासी हजारों सालों से बिना किसी बड़े संघर्ष के रहते आ रहे हैं।
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि भारत में लंबे अरसे से स्थिर समाजों का उदय हुआ और नतीजतन आध्यात्मिक प्रक्रियाएं विकसित हुई। इंसान बुनियादी रूप से क्या है, इस मुद्दे पर इस धरती की किसी भी दूसरी संस्कृति ने उतनी गहराई से विचार नहीं किया जैसा हमारे देश में किया गया। उन्होंने कहा कि भारत के नागरिकों को उन महान आदर्शों का ध्यान रखते हुए पालन करना चाहिए, जो हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन की प्रेरणा का स्त्रोत बने। उन्होंने कहा कि एक समाज का निर्माण और स्वतंत्रता, सम्मानता, अहिंसा, भाईचारा और विश्व-शांति के लिए एक संयुक्त राष्ट्र का निर्माण हमारे आदर्श हैं। यदि भारतीय नागरिक इन आदर्शों के प्रति सचेत और प्रतिबद्ध हो तो अलगाववादी प्रवृत्तियां कहीं भी जन्म नहीं ले सकती है। उन्होंने कहा कि आज संविधान स्थापना के 70वें वर्ष में हर एक नागरिक को ये सारे संकल्प दोहराने होंगे। देश को एक साथ आकर यह विश्वास करना होगा कि हमारे वर्तमान और भविष्य, वास्तव में हमारे गौरवशाली अतीत में ही विराजमान है।
इससे पूर्व हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की उप-कुलपति प्रो. निष्ठा जसवाल ने राज्यपाल का स्वागत किया।
पंजाब विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. आशुतोष कुमार तथा पूर्व प्राध्यापक देवी सरोही ने भी अपने विचार रखे।
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