एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के छात्र-ओरिएंटेशन कार्यक्रम में छात्रों को हिमाचल प्रदेश सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो. योगिंदर वर्मा ने पढ़ाया सफल-जीवन का पाठ, एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो: रमेश चौहान ने छात्रों में पढ़ाई के प्रति भरा जोश
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में बंदिश ग्रुप ऑफ म्यूजिक शिमला के गायकों ने छात्रों और शिक्षकों का भरपूर मनोरंजन किया
शिमला,स्थानीय एपीजी शिमला विश्वविद्यालय का नए तीन दिवसीय वर्चुअल शैक्षणिक-सत्र का आगाज़ सोमवार को वर्चुअल छात्र-ओरिएंटेशन कार्यक्रम से हुआ जिसमें हजारों छात्रों को विश्वविद्यालय की नए शैक्षणिक गतिविधियों से परिचित करवाया गया। कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ. योगिंदर वर्मा ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत कर छात्रों को सफल जीवन का पाठ पढ़ाया। इस छात्र-ओरिएंटेशन कार्यक्रम की शुरुआत एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. रमेश चौहान के स्वागत-भाषण से हुई। कुलपति प्रो. रमेश चौहान ने सभी छात्रों और शिक्षकों को नए शैक्षणिक सत्र को सफलतापूर्वक आरंभ करने के लिए सुभकामना देते हुए कहा कि पहले की भाँति वर्तमान शैक्षणिक-सत्र में भी छात्रों की पढ़ाई बेहतर हों ताकि छात्रों को किसी प्रकार की परेशानी न हो और छात्रों की पढ़ाई को शिक्षक नए नवाचारों के साथ और बेहतर करें। प्रो. चौहान ने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से कोरोना काल में भी छात्रों की पढ़ाई से लेकर परीक्षा परिणामों व ऑनलाइन पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आने दी जिसके लिए विश्वविद्यालय के शिक्षक, प्रबंधन और प्रशासन और छात्र बधाई के पात्र हैं। विश्वविद्यालय के डीन एकेडेमिक्स प्रो. सुनील ठाकुर ने मौजूदा शैक्षणिक सत्र बारे अवगत करवाया औऱ छात्रों को शुभकामनाएं दीं। कुलपति प्रो. चौहान ने प्रो. डॉ. योगिंदर वर्मा का स्वागत करते हुए उनका छात्रों से परिचय करवाते हुए कहा कि प्रो. डॉ. योगिंदर वर्मा पूर्व में हिमाचल प्रदेश सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति रहे हैं और उच्चकोटि के शिक्षाविद, विचारक, विश्लेषक, प्रबंधक, प्रशासनिक अधिकारी, शोध कर्त्ता के रूप में एक आदर्श प्रेरणास्रोत हैं, एक महान गुरु हैं। प्रो. डॉ. योगिंदर वर्मा ने अपने व्याख्यान ‘शिक्षा कोविड काल में’ विषय पर विस्तार से सभी छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि मानव की स्वतःविजय से चुनौतियों का सामना किया जा सकता है और शिक्षा के बल पर बड़ी से बड़ी समस्या से निपटा जा सकता है परंतु इसके लिए दृहड़ इच्छा शक्ति, शिक्षा के साथ-साथ बेहतर स्किल्स व हूनर होना जरूरी है। प्रो.वर्मा ने कहा कि कुछ लोग सोचते हैं कि शिक्षा डिग्री हासिल करने का जरिया है या नौकरी पाना है तो यह धारणा गलत साबित होगी यदि उस शिक्षा से मानव विकास, व्यकतित्व विकास, सामाजिक विकास, राष्ट्र-विकास और चरित्र-निर्माण न हो। प्रो. योगिंदर वर्मा ने कोविड-19 महामारी की चुनौतियों को लेकर कहा कि आज विश्व मानव-समुदाय कोरोना से झूझ रहा है खासकर विकासशील देशों के लिए यह बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है और मानव अस्तित्व को चुनौती दे रहा है, यहां तक कि वैज्ञानिक भी कोरोना की पहली को अभी ठीक से नहीं समझ पा रहे हैं। प्रो. वर्मा ने कहा कि अब परंपरागत शिक्षा से विकासशील देश अपनी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और आपदाओं की समस्याओं से निपटने के लिए विकसित देशों की तुलना में अभी पीछे हैं। उन्होंने कहा कि आज हमें बहुविकल्पीय शिक्षा की जरुरत है ताकि ऐसी शिक्षा से मानव संकटों पर विजय पाई जा सके है। प्रो. योगिंदर वर्मा ने छात्रों को महान लोगों की सफलता का उदाहरण देते हुए, प्रेरित करते हुए कहा कि हर व्यक्ति सफल जीवन जीना चाहता है, परंतु सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता और साकारात्मक सफलता हासिल करने के संघर्षों का सामना करना ही पड़ता है, सफलता उसी को मिलती है जो कठिनाइयों का सामना कर आगे बढ़ता है। उन्होंने कहा कि कोविड काल बेशक़ एक मानवीय चुनौती जरूर है पर किसी के लिए यह अपने को बेहतर और सफल इंसान साबित करने का अवसर भी है क्योंकि चुनौतियाँ कई बार मनुष्य होने की परीक्षा लेती है और जो सम्पूर्ण रूप से स्किल्ड व निपुण हैं, अनुभवी हैं, वे चुनौतियों पर काबू करने में सक्षम हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि जितने भी महान लोग हुए हैं उन्होंने जीवन-संकटों के बीच ही उज़ालों को खोजा है और सफलता प्राप्त की है। प्रो. वर्मा ने कहा कि छात्र महान लोगोँ के जीवन-संघर्ष से सफल-मनुष्य होने का पाठ जरूर पढ़ें। उन्होंने कहा कि यह बड़ा सत्य है कि जीवन कहीं ठहरता नहीं है और सब कुछ कभी ख़त्म नहीं होता, विपरीत परिस्थितियों में यह जानना महत्त्वपूर्ण नहीं है कि हमें जीवन से क्या अपेक्षा है, बल्कि यह जानना महत्त्वपूर्ण है कि इस समय जीवन को हमसे क्या अपेक्षा है, जो समस्या हमें दी गई उसका सही जबाब पाने की जिम्मेदारी हमारी ही है, यह तभी संभव है जब हम शिक्षा से हर क्षेत्र, हर विषय में पारंगत हैं और आज ऐसी ही शिक्षा की जरूरत है। प्रो. वर्मा ने कहा कि शिक्षा छात्र-आधारित होनी चाहिए न कि शिक्षक-आधारित। प्रो. वर्मा ने कहा कि आज का शिक्षक एक फैसिलिटेटर तक सीमित रह गया है और उसका कार्य सिर्फ सिलेबस खत्म करना, लेक्चर देना रह गया है जबकि शिक्षक को छात्र को पढ़ना है, उसके सर्वांगीण विकास, आवश्यकतओं के अनुरूप जीवन में पारंगत बनाना है, छात्र को बड़ा लक्ष्य हासिल करने के लिए तैयार करना है, प्रेरित करना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि डिज़िटल युग में बदलती परिस्थितियों और टेक्नोलॉजी के साथ छात्रों में ज्ञान के साथ अनुभव और कार्य में निपुणता होना जरूरी है तभी शिक्षा सार्थक है और तभी हर क्षेत्र में रोज़गार भी उपलब्ध हैऔर जॉब-सृजन है। प्रो. योगिंदर वर्मा ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि विजेता वही है जिसके पास हूनर है, आध्यात्मिक ज्ञान है,बहुविकल्पीय ज्ञान है। प्रो. वर्मा ने छात्रों से अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि बेहतर भविष्य की तलाश के लिए अपने जीवन-उद्देश्यों पर फोकस करें और बेहतर मनुष्य बन अपने समाज और राष्ट्र को सकारात्मक विकास की ओर ले चलें। उन्होंने कहा कि छात्र नशे की बुराइयों से हमेशा दूर रहें और बेहतर नागरिक बन समाज व राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दें। वहीं इस कार्यक्रम के दूसरे सत्र के दौरान डॉ. सुनील केशवानी ने छात्रों को प्रोफेशनल शिक्षा से सफल करियर बना सकते हैं, केशवानी ने कहा कि हूनर है तो कदर है जो कि स्किल ऑफ लर्निंग, समय प्रबंधन, समस्या-निजात निपुणता, विश्लेषणात्मक सोच, नवाचार, नवसर्जन, नेतृत्व और बेहतर संप्रेषण स्किल्स से ही आ संभव है।डॉ. केशवानी ने कहा कि 21वीं सदी स्किल्स ऑफ लर्निंग की सदी है जिससे कोरोना जैसी चुनौती को मात दी जा सकती है। छात्र-ओरिएंटेशन के तीसरे दिन एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. अरुण चौधरी, प्रो. लोकेश चंदेल, डॉ. प्रेम सिंह और डॉ. कुशा पंडित चावला ने एडवांस कंप्यूटिंग, छात्रों के कानूनी अधिकार, विज्ञान के आधारभूत टूल्स और कम्युनिकेशन स्किल पर छात्रों को व्यख्यान दिए। छात्र-ओरिएंटेशन के अंतिम सत्र के दौरान बंदिश ग्रुप ऑफ म्यूजिक शिमला के गायकों ने समा बांधा और छात्रों का भरपूर मनोरंजन किया।
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