शिमला राजधानी शिमला में कोरोना पीड़ित मरीजों को घर से लाने और अस्पताल से ले जाने के लिए प्रशासन ने कितने पुख्ता इंतजाम किए हैं, इसकी पोल रविवार को संजौली में खुली। यहां एक व्यक्ति को कोरोना से पीड़ित अपनी बुजुर्ग मां को एंबुलेंस से घर तक ले जाने के लिए काफी भटकना पड़ा। बुजुर्ग महिला कड़ी धूप में स्ट्रेचर पर लेटी थी लेकिन पूरे बाजार में स्ट्रेचर उठाने के लिए कोई आगे नहीं आया। व्यक्ति मदद के लिए चिल्लाता रहा लेकिन कोरोना से डरे लोग खिड़कियों से तमाशा देखते रहे। आखिरकार यहां से गुजर रहे समाजसेवी रवि कुमार और उनके दो साथियों आशीष और संजीव ठाकुर ने स्ट्रेचर उठाया और बुजुर्ग महिला को को घर तक पहुंचाया। 92 साल की यह बुजुर्ग महिला और उसका बेटा कोरोना पॉजिटिव हैं। दो दिन पहले भी इनकी तबीयत खराब हो गई थी। उस समय पुलिस के दो जवानों ने इन्हें अस्पताल पहुंचाया था। रविवार को आईजीएमसी अस्पताल से इन्हें छुट्टी दी गई थी। 108 एंबुलेंस में दोनों को रविवार दोपहर करीब डेढ़ बजे संजौली लाया गया। यहां एंबुलेंस कर्मी ने इन्हें उतरने के लिए कहा। लेकिन बुजुर्ग महिला स्ट्रेचर से उठ नहीं पा रही थी। बीमार बेटे में भी इतनी ताकत नहीं थी कि अकेले मां को घर तक ले जाए। इसके लिए मजदूरों से मदद मांगी। मनमाने पैसे देने की बात भी कही। लेकिन मजदूर और दूसरे लोग तैयार नहीं हुए। काफी देर धूप में भटकने के बाद समाजसेवी रवि कुमार ने इनकी मदद की। शहर में कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए पहले भी ऐसी दिक्कतें आती रही हैं। इसके लिए प्रशासन ने स्थानीय पार्षदों को वालंटियर तैयार करने को कहा है जो ऐसे लोगों की मदद कर सकें। लेकिन कई वार्डों में अभी तक टीमें नहीं बन पाई हैं। इससे बीमार लोगों को एंबुलेंस तक लाने और ले जाने में दिक्कतें आ रही हैं।
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