शिमला: हिमाचल के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर द्वारा,आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर की गई टिप्पणी की लेकर आज आप प्रदेश उपाध्यक्ष एस एस जोगटा ने शिमला में पत्रकार वार्ता करते हुए,शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर से इस्तीफा मांगा है। शिमला में पत्रकारों को संबोधित करते हुए पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष एस एस जोगटा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने भाजपा सरकार के शिक्षा मॉडल की पोल खोलकर रख दी है जिससे शिक्षा मंत्री बौखला गए हैं। प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की हालत इतनी दयनीय है जहां खुद शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर के गृह जिला में जर्जर भवनों में स्कूल चल रहे हैं इतना ही नहीं स्कूलों में सुविधाओं का भी अभाव है एक ही भवन स्कूल और पशु औषधालय चल रहा है। कहीं स्कूलों में शिक्षक ही नहीं है तो कहीं बच्चे ही नहीं है वहां की जनता खुद वीडियो बनाकर शिक्षा मंत्री की पोल खोल रही है। दूसरी ओर दिल्ली के स्कूल उच्च स्तरीय स्कूल हैं जहां विश्व स्तर की सुविधाएं और पढ़ाई बच्चों को करवाई जा रही है। फिर भी शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर यह मानने को तैयार नहीं है और केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर कटाक्ष कर रहे हैं।जो आम आदमी बर्दाश्त नहीं कर करेगी और इसके लिए शिक्षा मंत्री को माफी मांगनी चाहिए और इस्तीफा देना चाहिए।
आप उपाध्यक्ष ने कहा,हिमाचल प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की पोल खुलने के बाद भाजपा पूरी तरह से बौखला गई है। इसी बौखलाहट के चलते हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर उल जलूल बयानबाजी कर रहे हैं और अपनी मर्यादा भूलकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया पर टिप्पणी कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश दयनीय और बदतर शिक्षा व्यवस्था पर मीडिया के सामने विडियो दिखाते हुए कहा कि शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर द्वारा किए जा रहे दावों का जवाब प्रदेश की जनता आम आदमी पार्टी के सेल्फी विद स्कूल अभियान से दे रही है।
स्कूलों की स्थिति को लेकर एस एस जोगटा ने आंकड़े किए पेश
एस एस जोगटा ने हिमाचल प्रदेश के स्कूलों के आंकड़े जारी करते हुए बताया भाजपा सरकार के शासनकाल में पिछले साढ़े 4 साल के कार्यकाल में प्रदेश में लगभग 500 से ज्यादा स्कूलों का ताला लटक गया है। नए शैक्षणिक सत्र 2022-23 की अगर बात करे, तो अब तक 153 सरकारी स्कूलों में ताला लग चुका है। इसमें सबसे ज्यादा 39 स्कूल जिला शिमला में बंद हुए हैं। जबकि कांगड़ा में 30 और मंडी में 26 स्कूल बंद हुए हैं। इसके अलावा प्रदेश के सभी जिलों में ऐसे दर्जनों स्कूल हैं। उन्होंने कहा कि U DISE 2019-21 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में कुल 18,145 स्कूलों की संख्या है, जिसमें 10,574 प्राइमरी स्कूल, 1,948 मिडल स्कूल हैं। इन स्कूलों में 4,096 प्राइमरी स्कूलों की हालत खस्ता है।
प्रदेश की लचर शिक्षा व्यवस्था को लेकर अभिभावकों का विश्वास उठ रहा सरकारी शिक्षा से.
जोगटा के कहा कि यही वजह है कि वर्ष 2019-20 में सरकारी स्कूलों से 23,030 छात्र कम हुए है। वर्ष 2017 से लगातार यह ड्राप आउट सरकारी स्कूलों में हो रहा है। प्रदेश में सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक वर्ष 2017-18 में एनरोलमेंट 8 लाख 54 हजार 879 थी। वर्ष 2018-19 यह आंकड़ा 8 लाख 24 हजार 73 पर आ कर सिमट गई और अब वर्ष 2019-20 में यह आंकड़ा 8 लाख 1 हजार 43 पर आ गया है। यानी कि सरकारी स्कूलों में 23 हजार 30 छात्र कम हुए हैं। उन्होंने कहा बताया कि
प्रदेश के स्कूलों में असुविधाओं का अंबार लगा हुआ है।ताजा आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 722 स्कूल एक ही कमरे के सहारे चले हुए हैं।3056 स्कूलों में मात्र 2 ही कमरों के सहारे चल रहे हैं। 5,177 स्कूलों में 3 कमरे ही उपलब्ध हैं ऐसे में शिक्षा व्यवस्था वेंटीलेटर पर है। उसी तरह सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भी भारी कमी है जिसमें 2,507 स्कूलों में मात्र एक ही छात्र हैं। 6,479 प्राईमरी और 378 मिडल स्कूलों में दो ही शिक्षक हैं।
1573 प्राईमरी और 746 मिडल स्कूलों में तीन तीन शिक्षक हैं। जो सरकारी स्कूलों पर सरकार की अनदेखी पर सवाल खड़े करती है। जिसका ज़बाब अब प्रदेश की जनता आम आदमी पार्टी के सेल्फी विद स्कूल अभियान के तहत दे रही है।