कहा इन भ्रष्ट अधिकारियों की हो विजिलेंस द्वारा जांच
रेणुका गौतम, कुल्लू : “जिला सहकारी संघ का योगदान हमेशा ही देश और प्रदेश की सहकारिता संबंधी नीतियों और योजनाओं को स्थानीय सहकारी सभाओं तक पहुंचाने में रहा है। और इन सहकारी सभाओं की समस्याएं देश और प्रदेश सरकार तक पहुंचाने के लिए भी यह संघ ईमानदारी से कार्य करता रहा है, लेकिन विडंबना यह है कि वर्तमान समय में सहकारिता विभाग जो हमेशा ही सहकारी संघ का सहयोग करता आया है, आज इसी विभाग के कुछेक अधिकारी संघ और सहकारी आन्दोलन की जड़ों को खोखला करने में जुटे हैं”, यह बात ज़िला सहकारी संघ कुल्लू के अध्यक्ष सत्य प्रकाश ठाकुर ने आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान कही।
पत्रकारों को संबोधित करते हुए सत्यप्रकाश ठाकुर ने कहा कि केंद्रीय सरकार और प्रदेश सरकार का स्थानीय सहकारी सभाओं और सहकारिता आंदोलन को मजबूती देने में हमेशा अभूतपूर्व योगदान रहा है। सहकारिता विभाग भी हमेशा इस आंदोलन की मजबूती के लिए सहकारी संघ के साथ मिलकर कंधे से कंधा मिलकर आज तक काम करता रहा है। परंतु वर्तमान समय में सहकारिता विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के चलते संघ की जड़े काटने में तुला है। मामले पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि नग्गर में विभाग के इंस्पेक्टर, जिला कॉपरेटिव इंस्पेक्टर और एआर कॉपरेटिव कुल्लू मिलकर सहकारिता संघ के साथ लगातार सौतेला व्यवहार कर रहें हैं। यह सब सहकारी संघ को कतई मंजूर नहीं है।
उन्होंने कहा कि मामले को लेकर संघ, संबंधित विभाग को कई बार आगाह भी कर चुका है लेकिन अब तक मामले का कोई भी हल नहीं निकाला गया है। सत्य प्रकाश ठाकुर ने कहा कि इसी मुद्दे को लेकर संघ के ज़िला बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की एक मीटिंग हुई जिसमें सदस्यों ने विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ विजिलेंस जांच की मांग उठाई है।और यह भी मांग उठाई है कि इन अधिकारियों के स्थान पर ईमानदार अधिकारिओं को कार्य की बागडोर दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि इस बार भी संघ द्वारा उठाए गए मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया जाता है तो संघ बेहिचक न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।
सत्य प्रकाश ठाकुर का साफ तौर पर कहना है कि संघ को विभाग से कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि विभाग हमेशा से ही संघ के साथ मिलकर कार्य करता आ रहा है। और सहकारिता आंदोलन को मजबूती देने में विभाग और संघ हमेशा आज तक साथ चले हैं। लेकिन दिक्कत सिर्फ चुनिंदा भ्रष्ट अधिकारियों से है जो कि विभाग के उद्देश्य को भी दरकिनार रखकर सिर्फ अपनी मनमर्जी करने में तुले हुए हैं।