शिमला : ड्रोन पॉलिसी बनाने वाले देश के पहले राज्य हिमाचल के नाम एक और उपलब्धि जुड़ने वाली है। हिमाचल के मंडी स्थित आईआईटी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) में स्टार्टअप के तहत देश का पहला 200 किलो तक भार उठाने वाला ड्रोन तैयार किया जा रहा है। खास बात यह भी है कि आईआईटी के परिसर में ही एक भवन से दूसरे भवन तक इस ड्रोन का ट्रायल भी होगा। भार उठाने की अधिक क्षमता के चलते यह ड्रोन पर्वतीय राज्यों में एयर कार्गो ट्रांसपोर्ट के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा। स्टार्टअप कंपनी का दावा है कि भार उठाने की अधिक क्षमता के चलते यह ड्रोन पहाड़ी क्षेत्रों में सामान लाने ले जाने के लिए 7 फीसदी तक सस्ता होगा। आपातकालीन स्थिति में इसके जरिये दुर्गम क्षेत्रों से घायलों को अस्पतालों तक भी पहुंचाया जा सकेगा। एक महीने पहले यह कंपनी अरुणाचल प्रदेश में 6500 फीट की ऊंचाई पर भारतीय सेना के लिए 50 किलो आवश्यक सामान पहुंचाने का सफल ट्रायल कर चुकी है।
आईआईटी मंडी के सहयोग से बन रहा ड्रोन
आईआईटी मंडी के सहयोग से बोन-वी एरो स्टार्टअप 200 किलो तक भार उठाने वाला ड्रोन बना रहा है। आईआईटी के परिसर में ही एक भवन से दूसरे भवन तक इस ड्रोन का ट्रायल किया जाएगा। बीते एक साल से आईआईटी मंडी इस स्टार्टअप को सहयोग दे रहा है।- प्रोफेसर डॉ. पूर्ण सिंह कैटलिस्ट संकाय प्रभारी, आईआईटी मंडी
200 किलो वजन उठाने में सक्षम पहला स्टार्टअप ड्रोन
आईआईटी मंडी के सहयोग से 200 किलो वजन उठाने में सक्षम ड्रोन बनाने वाला बोन-वी एरो भारत का पहला स्टार्टअप है। हिमाचल के उच्च पर्वतीय क्षेत्रेां में बर्फबारी, बारिश, भूस्खलन से सामान लाना ले जाना चुनौतीपूर्ण रहता है। ऐसे में 200 किलो वजन उठाने में सक्षम ड्रोन फायदेमंद साबित होगा।- सत्याव्रत सतापथ्य, सीईओ बोन-वी एरो
10 किलो सामान के प्रति किलोमीटर लगेंगे 10 रुपये
बोन-वी एरो कंपनी के सीईओ सत्याव्रत सतापथ्य का कहना है कि 10 किलो के मुकाबले जब ड्रोन 200 किलो वजन उठाएगा तो 10 किलो सामान का प्रति किलोमीटर किराया घटकर 10 रुपये प्रति किलोमीटर पहुंच सकता है। हालांकि किस क्षेत्र और परिस्थिति में ड्रोन इस्तेमाल होगा यह भी महत्वपूर्ण रहेगा।