कांगड़ा: कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक में साढ़े 19 करोड़ रुपए के फर्जीवाड़े में जिला एवं सत्र न्यायालय ऊना की अदालत से 3 आरोपियों की जमानत याचिका रद्द हो गई है। अब लोन कमेटी के 4 आरोपियों ने अग्रिम जमानत याचिका के लिए आवेदन किया है। अदालत इस पर 13 जनवरी को फैसला करेगी। विजीलैंस एवं एंटीक्रप्शन ब्यूरो ऊना के डीएसपी अनिल मेहता ने इसकी पुष्टि की है।
उधर, दूसरी तरफ विजीलैंस ने इस सनसनीखेज ऋण बंदरबांट मामले में कांगड़ा बैंक से सारा रिकार्ड ले लिया है। रिकार्ड की पड़ताल की जा रही है। विजीलैंस ने लम्बी जांच के बाद धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120बी आईपीसी तथा 13-1 सीडी प्रोवैंशन ऑफ क्रप्शन एक्ट के तहत कार्रवाई आरंभ की है।
कांगड़ा बैंक ने पंजाब की एक फर्म को अम्ब में स्थापित किए जाने वाले उद्योग के लिए 19.50 करोड़ रुपए का ऋण मंजूर किया था। उपमंडल अम्ब की इस फर्म की प्रापर्टी पंजाब में थी और ऋण जारी करते समय इन पहलुओं को नजरअंदाज किया गया था। विजीलैंस की प्रारंभिक जांच में जो तथ्य उजागर हुए थे उनमें सबसे बड़ी बात यह थी कि साढ़े 19 करोड़ रुपए के ऋण में से साढ़े 4 करोड़ रुपए का टर्म लोन तथा 15 करोड़ की सीसीएल थी।
फर्म द्वारा लोन के लिए किए गए आवेदन को कांगड़ा बैंक की कमेटी ने पहले आपत्ति जाहिर की और उसके बाद यह ऋण जारी कर दिया गया था। इस ऋण में से पौने 2 करोड़ रुपए से अधिक की राशि वर्ष 2015 में एक ईंट भट्ठा फर्म तथा एक अन्य कंपनी के खातों में ट्रांसफर की गई थी। राशि ट्रांसफर होने के बाद ये दोनों कंपनियां बंद हो गई थीं।
विजीलैंस एवं एंटी क्रप्शन ब्यूरो द्वारा दर्ज एफआईआर के मुताबिक इस ऋण में बैंक की तरफ से वैलुएटरों को भी नामजद किया गया है। इन दोनों मूल्यांकनकर्ताओं ने पंजाब में मौजूद फर्म की प्राॅपर्टी 20 करोड़ तक वैलुएट की थी।