हिमाचल प्रदेश में शिक्षा के नाम पर फर्जीवाड़ा चल रहा है। युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए उन्हें फर्जी डिग्रियां दी जा रही हैं।निजी यूनिवर्सिटीज इस सारे गड़बड़ झाले को अंजाम दे रही हैं। आलम यह है कि ये यूनिवर्सिटीज फर्जी तरीके से अब तक लाखों डिग्रियां प्रिंट कर छात्रों को दे चुकी हैं। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन( यूजीसी) के पत्र में यह खुलासा हुआ है। यूजीसी ने इस बाबत सरकार को एक चिट्टी लिखी है और इस चिट्ठी को सरकार ने रेगुलेटरी कमीशन को दिया है।पूरा मामला हिमाचल पुलिस के संज्ञान में भी लाया गया है।
यूजीसी ने अपने पत्र में शिमला की एपीजी और सोलन की मानव भारती यूनिवर्सिटी पर फर्जी डिग्री छापने और फिर बेचने की बात कही है। पत्र के अनुसार, सोलन की मानव भारती यूनिवर्सिटी ने जहां चार से पांच लाख फर्जी डिग्रियां छापी और बेची हैं, वही, एपीजी यूनिवर्सिटी ने 15 हजार डिग्री फर्जी जारी की हैं।
देशभर से कुल 13 यूनिवर्सिटीज-
यूजीसी की ओर से जारी पत्र में देश भर की यूनिवर्सिजी के नाम हैं। इनमें दो हिमाचल से हैं।चिठ्ठी में कुल देश की 13 यूनिवर्सिटीज के नाम हैं।अब जयराम सरकार ने कार्रवाई के लिए निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग को जिम्मा सौंपा है। पूनम, सचिव, निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने चिट्ठी मिलने की पुष्टि है।
हर भारतीय अकादमिक अनपढ़ बन जाएगा
मानव भारती यूनिवर्सिटी की स्थापना 2009 और एपीजी यूनिवर्सिटी की स्थापना 2012 में हुई है।चिठ्ठी में यूजीसी ने तल्ख शब्दों का प्रयोग किया है। यूजीसी के मुताबिक एक-एक डिग्री के लिए मोटी रकम ली जाती है। फर्जी डिग्री बनाने और बेचने लिए फूलप्रुफ सिस्टम बनाया गया है। बाकायदा, देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐजेंट बिठाए गए हैं। डिग्री ‘बेचने’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए लिखा है कि अगर यह व्यापार ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन हर भारतीय अकादमिक अनपढ़ बन जाएगा।चिठ्टी में आगे लिखा है कि हमें खुशी हो रही है कि डिग्रियां बेचने वाली उन यूनिवर्सिटीज के नाम बता रहे हैं, जिन्होनें पिछले 12 सालों में हजारों डिग्रियां बेची हैं।
यूजीसी का हिमाचल सरकार को पत्र-
यूजीसी ने लिखा कि एपीजी यूनिवर्सिटी ने अब तक 15 हजार से ज्यादा डिग्रियां बेची है। एपीजी में जितने भी कोर्स करवाए जाते हैं, उनमें सीटें सीमित होने के बावजूद इतनी संख्या में डिग्रियां बेची जा चुकी हैं। आगे लिखा है कि एपीजी ने वो डिग्रियां भी बेची हैं, जिनपर AICTE, NCTE और BCI जैसी वैधानिक संस्थाओं ने रोक लगा रखी है।
मानव भारती ने तो श्रीलंका में फैलाया व्यापार-
मानव भारती यूनवर्सिटी ने डिग्रियां बेचने में गजब ढहा रखा है।यूजीसी ने पत्र में लिखा है कि मानव भारती विश्वविद्यालय ने बीते 7 साल में 4 से 5 लाख डिग्रियां बेची हैं। डिग्रियां बेचने के लिए पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, बिहार, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत में ऐजेंट रखे हैं। डिग्रियों के संबंध में निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग को कोई जानकारी नहीं दी गई। फर्जी डिग्री बनाने के मामले में इस विश्वविद्यालय ने सारे रिकार्ड ध्वस्त कर रखे हैं। विदेशी संस्थान की डिग्री तक खुद प्रिंट करके बेच डाली। यूजीसी ने चिठ्ठी में आगे लिखा है कि श्रीलंका की ‘द जयसूर्या ओपन यूनिवर्सिटी फॉर कॉम्पलिमेंट्री मेडेसिन’ की डिग्री खुद प्रिंट की। इसके बारे में यूनिवर्सिटी के संस्थापक सदस्य लॉर्ड पंडित प्रोफेसर डॉ. अन्तेन जयसूर्या को कोई जानकारी नहीं दी। यूजीसी ने लिखा है कि मानव भारती यूनिवर्सिटी के संस्थापक ने इससे मोटी कमाई की। बता दें कि एक मामले में पहले भी फर्जी डिग्री के मामले में मानव भारती यूनिवर्सिटी को जुर्माना भरना पड़ा था।
क्या कहना है निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग सचिव का
पूनम, सचिव, निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने चिट्ठी मिलने की पुष्टि की और कहा कि कार्रवाई जारी है। फर्जी डिग्रियों की जांच के लिए डीजीपी को पत्र लिखा गया है। कुछ मामले अदालत में भी लंबित हैं। यूजीसी ने 30 अगस्त 2019 को यह पत्र लिखा है।
क्या कहते हैं डीजीपी हिमाचल प्रदेश पुलिस
वहीं इस बारे में डीजीपी हिमाचल प्रदेश पुलिस सीताराम मरडी का कहना है कि वह इस समय हिमाचल से बाहर हैं तथा वापस आने के बाद ही इस बावत कुछ कहा जा सकता है।
सरकार पर भी सवाल-
7 महीने पहले यह चिट्ठी सरकार को लिखी गई थी। दिल्ली से शिमला तक चिठ्टी पहुंचने में कितना समय लगा और उसके बाद आयोग की अब तक की कार्रवाई, यह सभी सवाल, नए सवालों को उठाते हुए नजर आ रहे हैं। सरकार ने इसकी भनक अब तक किसी को लगने नहीं दी
पुलिस क्या कार्रवाई कर रही है इसकी भी सूचना नहीं दी जा रही है।ऐसे में इसमें सरकारी तंत्र की शमूलियत से भी इंकार नहीं किया जा सकत है।