Tuesday, July 1, 2025
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बिलासपुर मनाली लेह रेलवे परियोजना का सर्वे तुर्की कंपनी द्वारा करवाना देश की रक्षा को खतरा : वेदराम ठाकुर


कहा यह रेलवे मार्ग स्थानीय बागवानों, किसानों और पर्यटन के लिए हो सकता है नुकसान
रेणुका गौतम, कुल्लू : पूर्व प्रधान संघ के अध्यक्ष वेदराम ठाकुर द्वारा जिला मुख्यालय कुल्लू में एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने बिलासपुर-मनाली- रेलवे परियोजना को लेकर कुछेक चिंता जनक पहलू सामने रखे।
इस दौरान पहला मुद्दा तो यही रहा कि इस रेलवे मार्ग को तैयार करवाने के लिए जिस तरह से तुर्की की कंपनी युक्सेल प्रोजेक्ट से सर्वे करवाया जा रहा है, यह भविष्य में देश की रक्षा के लिए घातक साबित हो सकता है। क्योंकि यह जगजाहिर है कि हाल ही भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान का युद्ध में तनकर साथ दिया। अतः ऐसे में इस देश की कंपनी द्वारा सर्वे करवाना देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। वेदराम ठाकुर ने कहा कि जहां एक ओर तुर्की के भारत के प्रति रवैए को देखते हुए भारतवर्ष के सभी व्यापारी तुर्की के सब सहित अन्य सामान के आयात का विरोध करके अपना रोष जाहिर कर रहे हैं, वहां जाने वाले लाखों भारतीय सैलानियों ने अपनी बुकिंग रद्द करवा दी है। लेकिन दूसरी तरफ हमारी सरकार तुर्की की कंपनी को बिलासपुर- मनाली- लेह रेलवे मार्ग के सर्वे की जिम्मेदारी देकर दोहरा मापदंड अपना रही है। जो किसी भी हाल में आम जनमानस द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

साथ ही वेदराम ठाकुर ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यह सभी जानते हैं कि कुल्लू- मनाली पर्यटन की दृष्टि से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खासी पहचान बनाए हुए हैं। और यह एक तंग घाटी है खुली घाटी नहीं, यदि ऐसे में अगर यहां पर रेलवे ट्रैक बना दिया जाता है तो हजारों किसानों और बागवानों को अपने फल सब्जियों के खेतों की कुर्बानी देनी पड़ेगी, जिससे उनकी आय पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। और पर्यटन को भी जबरदस्त नुकसान होने की संभावनाएं है। इतना ही नहीं यह रेल मार्ग क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र को भी बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।
अतः वेदराम ठाकुर ने रेलवे परियोजना को लेकर केंद्र सरकार से एक बार फिर गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया है। उनका साफ तौर पर कहना है कि वह वह रेल मार्ग के बिल्कुल खिलाफ नहीं है, लेकिन स्थानीय लोगों को और पर्यटन को किसी विकासात्मक कदम का खामियाजा न भोगना पड़े बस यही चिंता का विषय है।
उनका कहना है कि केंद्र और प्रदेश सरकार से यही निवेदन है कि इस रेल मार्ग के निर्माण हेतू सर्वे से पहले पुनः इस पर विचार किया जाए। और नए सिरे से सर्वे किया जाए, जिसमें भागीदारी या तो देसी कंपनी की हो या फिर मित्र राष्ट्र की किसी कंपनी की हो। साथ ही इस सारे कार्य में स्थानीय प्रशासन और स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए और उनके विचार जाने जाएं।

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