धर्मशाला: मामला उस समय का है जब 2005 में धर्मशाला नगर परिषद ने रैस्ट हाऊस के लिए मुख्य सड़क पर एक भवन का निर्माण किया। इसे देवेंद्र सिंह जग्गी को 25 साल की लीज पर दे दिया गया। सिक्योरिटी राशि 30 लाख तय हुई, जबकि मासिक किराया 30 लाख तय हुआ। 15 मई 2006 को बिल्डिंग की नीलामी दिखाई गई। मगर इसमें सिक्योरिटी राशि का जिक्र नहीं हुआ। स्टेट विजिलेंस व एंटी क्रप्शन ब्यूरो की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि पूर्व मेयर ने भवन के प्रथम धरातल को आईसीआईसीआई बैंक को किराए पर दे दिया। जबकि एक हिस्सा बजाज एलाइंस इंश्योरैंस कंपनी को भी दिया गया।
पूर्व मेयर द्वारा बैंक से एक जनवरी 2019 से 31 दिसंबर 2019 तक एक करोड़ 21 लाख 46 हजार 649 रुपए किराया लिया गया, जबकि बजाज एलाइंस से 39 लाख 47 हजार 971 रुपए किराया लिया गया। ये राशि 1 करोड़ 60 लाख 94 हजार 620 रुपए हुई। खुद पूर्व मेयर ने मौजूदा समय में नगर निगम को 18 लाख 38 हजार 869 रुपए किराया ही अदा किया। साहब ने सरकारी खजाने को खुली आंखों से ही मोटा चूना लगा दिया।
2015 से पहले धर्मशाला नगर परिषद था। नगर निगम बनते ही कांग्रेस नेता देवेंद्र सिंह जग्गी डिप्टी मेयर बने। इसके बाद अढ़ाई साल की अवधि के लिए मेयर का रुतबा भी हासिल किया। इस समय भी वो नगर निगम के पार्षद हैं।
बता दें कि नगर निगम के ही एक पार्षद द्वारा इस घोटाले पर विजिलेंस को शिकायत की गई थी। इसके बाद स्टेट विजिलेंस व एंटी क्रप्शन ब्यूरो ने मामले की गहनता से जांच की। विजिलेंस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बलबीर सिंह जसवाल ने पूर्व मेयर व तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी के खिलाफ धोखाधड़ी, षडयंत्र रचने व भ्रष्टाचार को लेकर पीसी एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज होने की पुष्टि की है।