छात्रों को एसबीआई युथ फ़ॉर इंडिया फेलोशिप प्राप्त करने का भी दिया सुझाब
शिमला, सतत विकास लक्ष्यों द्वारा ही सामाजिक-आर्थिक विकास संभव है। ऐसे लक्ष्यों का मुख्य मकसद विश्व से गरीबी, बेरोजगारी पूरी तरह समाप्त कर लोगों को मानव विकास की मुख्य धारा में शामिल करना है। विकास का अर्थ मानव जीवन के स्तर को ज़रूरत के हिसाब से हमारी भावी पीढ़ी की जरूरतों को बिना प्रभावित किए वर्तमान की आवश्यकताओं को पूरा करना है। मानव विकास और सतत विकास पर ये बातें एस बीआई फाउंडेशन के अध्यक्ष निक्सन जोसेफ़ ने अपने व्याख्यान में एपीजी शिमला विश्वविद्यालय और वेंकटेश्वर ओपन विश्वविद्यालय के संयुक्त वेबिनार में छात्रों और शिक्षकों से साझा की। शुक्रवार को एपीजी शिमला विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो. डॉ. रमेश चौहान और वेंकटेश्वर ओपन विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो. डॉ. आर.के. चौधरी की अगुवाई में आयोजित वेबिनार में ऐसबीआई फाउंडेशन के अध्यक्ष निक्सन जोसेफ़ जो कि एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफ़ेसर भी हैं ने बतौर मुख्य वक्ता शिरकत की। एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमेश चौहान ने मुख्य वक्ता निक्सन जोसेफ़ का अभिवादन करते हुए कहा कि निक्सन जोसेफ़ जैसी सुविख्यात सख्सियत ने समय निकालकर एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के छात्रों व शिक्षकों को उनके जीवन संघर्ष से और चुनौतियों से कैसे सामना किया जाए और समाज को कैसे बेहतर बनाया जाए, यह सीखने का अवसर प्रदान किया। वहीं कुलपति प्रो. आर.के. चौधरी ने निक्सन जोसेफ़ का परिचय करवाते हुए कहा कि निक्सन जोसेफ़ वास्तव में एक बैंकर ही नहीं बल्कि एक मानव नायक हैं जो मानव विकास और सामाजिक विकास को पहले पायदान पर रखते हैं न कि बिज़नेस से लाभ कमाना। निक्सन जोसेफ़ ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भले ही हम सब कोविड महामारी की चुनौतियों से जूझ रहे हैं परंतु एक सफल व्यावसायिक के लिए चुनौती एक अवसर प्रदान करती है और विकास को गति मिलती है, दृहड़ निश्चय व प्रतिबद्धता के आगे विकास रुकता नहीं। जोसेफ़ ने कहा कि कॉरपोरेट जगत से लोगों को लाभ की बजाय सतत विकास लक्ष्यों को पूरा कर सामाजिक-आर्थिक विकास और ग्रामीण विकास पर फोकस करना चाहिए और युवा पीढ़ी को जॉब-सृजन में पारंगत करें जिसे प्रोफेशनल शिक्षा से हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लोगों का जीवन स्तर बेहतर नहीं होगा तो कॉरपोरेट जगत को लाभ भी नहीं होगा। निक्सन जोसेफ़ ने कहा कि इस दिशा में मानव संसाधन, व्यवसायिक शिक्षा, संप्रेषण, प्राकृतिक संसाधनों को आवश्यकता अनुसार सतत मानव विकास में पहले प्रयोग में लाना होगा तभी मानव सभ्यता, संस्कृति, शहरी व ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उत्थान के साथ पर्यावरण संरक्षण को मजबूत किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट के लोगों को लाभ की बजाय सामाजिक-आर्थिक जिम्मेवारी को पहले निभाना चाहिए ताकि गरीबी, बेरोज़गारी, भुखमरी, असामाजिक सुरक्षा, शिक्षा की कमी, स्वच्छता की कमी, असमानता और पिछड़ापन से जूझ रहा विश्व मानव समुदाय को जमीनी स्तर पर सामाजिक-आर्थिक सुविधा उपलब्ध कर उनके जीवन स्तर को मानवीय कौशल से बेहतर किया जा सके। निक्सन जोसेफ़ ने छात्रों को एसबीआई युथ फ़ॉर इंडिया फेलोशिप से अवगत करवाते हुए कहा कि मेधावी छात्रों को एस-बीआई फाउंडेशन की ओर से स्नातक व परास्नातक व्यवसायकि फील्ड के छात्रों को ग्रामीण विकास से संबंधित फेलोशिप हर बर्ष मेधावी छात्रों को प्रदान की जाती है जिसके माध्यम से सिलेक्टेड मेधावी छात्रों को ग्रामीण विकास व ग्रामीण विकास प्रोजेक्ट व रिसर्च करने का अवसर मिलता है और इससे ग्रामीण समुदाय को विकास में मदद मिलती है। जोसेफ़ ने कहा कि दिव्यांग छात्रों को भी इस प्लेटफार्म से जोड़ा जाता है ताकि वे भी अपना टेलेन्ट से मानव विकास में अपना हाथ बटा सकें और आत्मनिर्भर बनें और उनमें आत्मविश्वास की लौ जगे। उन्होंने कहा कि कोई भी संस्थान, शिक्षा संस्थान और एनजीओ इस फाउंडेशन से मानव विकास को लेकर जुड़ सकता है।जोसेफ़ ने कहा कि भारत जैसे देश में आज भी ग्रामीण विकास में सरकारों, कॉरपोरेट संगठनों, संस्थाओं द्वारा अनदेखा किया जाता रहा है जबकि भारत ग्रामों में बसता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश और विकासशील देशों में ऐसे कई मानव समुदाय हैं जिन्हें आज तक मूलभूत सुविधाओं जैसे पेयजल, स्वच्छता, बिजली आपूर्ति, सड़क, शिक्षा के लिए याचनाएँ करनी पड़ती हैं परंतु सहायता के लिए कोई आगे नहीं आता। निक्सन जोसेफ़ ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि ऐसबीआई युथ फ़ॉर इंडिया फेलोशिप भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में काम करती है और ये सभी एक ही विकास के धागे से बंधी होती हैं। निक्सन ने कहा कि यह फेलोशिप छात्रों को एक मंच प्रदान करती है और ग्रामीण विकास को ताकत मिलती है। निक्सन जोसेफ़ ने छात्रों से आग्रह किया कि यदि वे सचमुच में कुछ बड़ा बदलाव लाना चाहते हैं तो बदलाव अवश्य आएगा जिससे छात्र जॉब-सृजक होंगें न कि जॉब-ढूंढने वाले और इससे मानव विकास को एक बेहतरीन मंच मिलेगा। उन्होंने कहा कि छात्रों को अनुभवों से ज्यादा सीखना चाहिए क्योंकि अनुभवों से जो शिक्षा मिलती है वह अध्ययन कक्ष से या किताब से नहीं मिलेगी। उन्होंने अपना उदाहरण पेश करते हुए कहा कि किस तरह उन्होंने बढ़ती उम्र के साथ पचास मैराथन में भाग लिया और उसमें सफलता पाई और ऐसा कारनामा करने वाले वे पहले बैंकर भी बनें। उन्होंने कहा कि संघर्ष को सही दिशा में ईमानदारी से किया जाए तो जीवन में सफलता जरूर मिलती है। जोसेफ़ ने कहा कि यदि संसार आपके लिए उपयुक्त नहीं है तो आप इसे उपयुक्त बनाने के लिए सकारत्मक परिवर्तन ला सकते हैं कि आपके संघर्ष की उड़ान की सीमाएं नहीं होनी चाहिए। कार्यक्रम के अंत में विभिन्न संकायों में अध्ययन करने वाले छात्रों ने निक्सन जोसेफ़ से सवाल पूछे कि सफल जीवन कैसे जिया जाए और कोरोना जैसी चुनौती से मानव को कैसे राहत दें। इस कार्यक्रम की एंकर डॉ. प्राची वैद रहीं। कार्यक्रम के दौरान एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलसचिव, निदेशक, शिक्षक, कार्यकारी अधिकारी, सभी विभागों के विभागाध्यक्ष मौज़ूद रहे।
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